Visiting this old abandoned Haveli (traditional courtyard residential dwelling) and meeting the ex resident there – his lips were smiling but his eyes were telling a story which my dear friend Ajay Choudhary narrated in these beautiful lines when I shared my experience and these photographs with him 🙂
उस अनकही सी दहलीज
पर रुक जाना तेरा
कई कई बार आना
पर लौट जाना तेरा
ज़द्दोजहद ज़्यादा हो
तो कदम ठिठकते है
कुछ सोच कर
वहीं रुक जाना तेरा
ख्वाब के दरवाज़े खुले
छोडे थे कभी
पर हर बार झलक दिखा
लौट जाना तेरा
तेरे उजालों
मेरे अंधेरों के बीच
ये दरवाज़ा तेरा
या तो उजालों में लौट जा
या अंधेरों को कर रौशन
बहुत अखरता है
दहलीज पर
रुक जाना तेरा – By Ajay Choudhary
बहुत सुंदर भाई साहब
Shukriya 🙂
चमेली की बेल सी लिपटी
खड़ी है
कई वर्षों से खुशबू से
अटी पड़ी है
चौक चमेली चहकती चिड़िया
सब एक साथ
रूह को लपेटे खड़ी है
दो पहर का है इंतजार
के धूप भी अा जाए
कुछ छांव से आंख मिचौली
और उठे हवा हौले
कुछ पंख हिलें
पत्ते हिलमिल
मटमैला आंगन
फूलों से नहाया खड़ा है
कुछ किलकारियां भी
लिपट पड़ी है
कुछ पैंजन छन
हवन के घी कपूर
धूप भी रमे खड़े है
तेरा इंतज़ार था
तू भी बरस जा
तेरी टप
और मिट्टी की खुशबू
सब एक साथ खड़े हैं
मेरी रूह से
लिपटे खड़े हैं
Wow – Superb Ajay!!